Rajasthan Election Result,RAJASTHAN SEAT-WISE RESULTS राजस्थान के रण में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका फैसला तीन दिसंबर को शाम तक हो जाएगा। रविवार सुबह आठ बजे से मत पत्रों की गणना शुरू होगी। करीब 8:30 बजे से ईवीएम मशीनों पर वोटों की गिनती शुरू होगी। इस बार पिछले चुनावों की तुलना में ज्यादा वोटिंग हुई। खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में वोटिंग शेयर बढ़ा है। संभाग मुख्यालय जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर और उदयपुर में एक प्रतिशत से लेकर ढाई प्रतिशत तक वोट बढ़ा। ऐसे में इस चुनाव का परिणाम भी रोचक हो सकता है।
ईडी से लेकर कन्हैयालाल भी चुनावी भाषणों में छाए रहे
पेपरलीक, जलजीवन मिशन घोटाला, लॉकर्स में कैश, कन्हैयालाल और महिला सुरक्षा समेत कई बड़े मुद्दे भाजपा ने उठाए। भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा जो सवाई माधोपुर से प्रत्याशी भी हैं, चुनाव से पहले भी इन्हीं मुद्दों को लेकर लगातार सरकार को घेरते रहे।
ईडी के एक्शन, कांग्रेस ने सहानुभूति बटौरी
प्रदेश में चुनाव के बीच ईडी की एंट्री भी हुई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से लेकर महवा से कांग्रेस प्रत्याशी ओमप्रकाश हुडला के घर पर पेपर लीक कांड को लेकर ईडी की रेड हुई। उधर, कांग्रेस ने ईडी की रेड का मुद्दा प्रदेश भर में उठाया। सीएम
अशोक गहलोत ने लगभग हर बयान और प्रेस कांफ्रेंस में ईडी की रेड का मुद्दा उठाते हुए भाजपा पर एजेंसियों का दुरुपयोग करने के
आरोप लगाए। डोटासरा को इसका फायदा मिलता भी नजर आया। क्षेत्र में उन्हें लेकर सहानुभूति की लहर दिखी। उनके समर्थकों की
भारी भीड़ उनके साथ जुटी।
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तीन बड़े प्रयोग भी रहे चर्चा में
चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही प्रयोग किए। भाजपा ने एक साथ सात सांसदों को चुनाव लड़ने के लिए उतारा। तुष्टीकरण के मुद्दे को हवा देने के लिए महंतों को टिकट दिए। वहीं, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने कर्नाटक की तर्ज पर गारंटी आगे रखी, जातिगत जनगणना का मुद्दा भी हर चुनावी सभा में उठाया गया। अब जानिए तीन बड़े प्रयोग…
- भाजपा का सांसदों को मैदान में उतारना
- भाजपा की ओर से चार सीटों पर संतों को टिकट देना
- कांग्रेस का महिला वोटरों को मोबाइल बांटना, सिलेंडर की कीमत घटना और दस हजार रुपये हर साल देने जैसी घोषणा करना
सात में से छह सांसदों की सीटों पर वोटिंग बढ़ी
भाजपा ने एक राज्यसभा सांसद समेत सात सांसदों को टिकट दिए। वोटिंग प्रतिशत बताता है कि सात में से छह सीटों पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ा। लेकिन, तिजारा को छोड़कर बाकी जगह वोटिंग शेयर बहुत कम बढ़ा है। इन सात में से पांच सीटें वह है, जहां भाजपा पिछले तीन चुनाव से हार रही है।
किशनगढ़ विधानसभा सीट
इस सीट पर भाजपा ने सांसद भागीरथ चौधरी को मैदान में उतारा और उनका मुकाबला भाजपा से ही बागी होकर कांग्रेस में गए विकास चौधरी से था। यहां वोटिंग प्रतिशत में 2.05 प्रतिशत का अंतर है। इसे भाजपा प्रत्याशी के कद को देखते हुए बहुत ज्यादा नहीं माना जा सकता, क्योंकि उनके सामने एक दल-बदलू प्रत्याशी मैदान में था। 2018 में वोट शेयर 74.16 फीसदी रहा था, जबकि इस बार 76.21 प्रतिशत है।
तिजारा विधानसभा सीट
राजस्थान के अलवर जिले की इस सीट पर मतदान 4.03 प्रतिशत बढ़ा है, जो सांसदों की सीट पर सबसे ज्यादा है। लेकिन इसका एक बड़ा कारण यहां धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण माना जा रहा है। भाजपा ने यहां से हिंदुत्ववादी चेहरे बाबा बालकनाथ को चुनाव मैदान में उतारा है और उनके सामने मुस्लिम प्रत्याशी इमरान खान चुनाव मैदान में थे। 2018 में वोट शेयर 82.08 फीसदी रहा था, जबकि इस बार 86.11 प्रतिशत है।
विधानसभा सीट सवाई माधोपुर
इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले 2.31 प्रतिशत बढ़ा है। यहां से भाजपा के सबसे चर्चित नेताओं में से एक किरोड़ीलाल मीणा मैदान में थे और मुकाबला भी त्रिकोणीय हो गया था। इसके बाद भी वोटिंग प्रतिशत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं होना बता रहा है कि मुकाबला कड़ा हो सकता है। 2018 में वोट शेयर 68.63 फीसदी था, जबकि इस बार 70.94 प्रतिशत रहा है।
विधानसभा सीट सांचौर
इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले सिर्फ 0.15 प्रतिशत बढ़ा है। जबकि यहां से भाजपा ने जालौर से तीन बार के सांसद देवजी पटेल को मैदान में उतारा था और उनके सामने गहलोत सरकार के मंत्री सुखराम विश्नोई थे। मंत्री के साथ अक्सर एंटी इनकम्बेंसी का असर रहता है, लेकिन इसके बाद भी वोटिंग प्रतिशत में बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है। 2018 के चुनाव में वोट शेयर 80.76 प्रतिशत था, जबकि इस बार 80.91 फीसदी रहा है।
विधानसभा सीट विद्याधर नगर
जयपुर शहर की इस सीट मतदान सिर्फ 2.73 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि यहां भाजपा ने सांसद दीया कुमारी जैसा चेहरा मैदान में उतारा था। दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजपरिवार की बेटी हैं। यहां माहौल को देखते हुए बहुत अच्छी वोटिंग की सम्भावना व्यक्त की जा रही थी। 2018 के चुनाव में वोट शेयर 69.82 प्रतिशत था, जबकि इस बार 72.55 फीसदी रहा है।
विधानसभा सीट मंडावा
झुंझुनू जिले की इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत में सिर्फ 0.77 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। यहां से भाजपा ने सांसद नरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा था जो पिछली बार जीत तो गए थे, लेकिन बाद में सांसद बना दिए गए थे। उनका मुकाबला कांग्रेस की रीटा चौधरी से था जो उपचुनाव में जीत कर विधायक बन गई थीं। वोटिंग प्रतिशत का अंतर बता रहा है यहां भी भाजपा के प्रयोग को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं था। 2018 के विधानसभा चुनाव में वोट शेयर 73.20 प्रतिशत था, जबकि इस बार 73.97 फीसदी रहा है।
विधानसभा सीट झोटवाड़ा
जयपुर जिले की इस सीट पर पिछली बार के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत 0.45 प्रतिशत कम हो गया है और यह चौंकाने वाली स्थिति इसलिए है कि यहां से भाजपा ने जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा था। वहीं, कांग्रेस की ओर से एक बिल्कुल नया चेहरा अभिषेक चौधरी को टिकट दिया था। लेकिन इसके बावजूद वोटिंग प्रतिशत कम होना चौंका रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में वोट शेयर 72.97 प्रतिशत था, जबकि इस बार 71.52 फीसदी रहा है।
महंतों की सीटें, बंपर वोटिंग
भाजपा का दूसरा प्रयोग था चार संतों को मैदान में उतारना। इन चार सीटों में पोलिंग तो अच्छी हुई है, लेकिन पिछली बार के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत में अच्छी बढ़ोतरी दो ही सीटों पर है। जबकि भाजपा ने हिंदुत्व का कार्ड जमकर खेला था।
हवामहल विधानसभा सीट
जयपुर शहर की इस मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं वाली सीट पर वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले 3.64 प्रतिशत बढ़ा है। इस सीट पर भाजपा ने महंत बालमुकुंदाचार्य को टिकट दिया था। उनके सामने कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता और जयपुर जिला अध्यक्ष आरआर तिवाारी मैदान में थे। सीट पर धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण देखने को मिला है और नतीजे रोचक हो सकते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में वोट शेयर 72.66 प्रतिशत था, जबकि इस बार 76.30 फीसदी रहा है।
तिजारा विधानसभा सीट
मेव मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं वाली इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत 4.03 प्रतिशत बढ़ा है। यहां से सांसद बाबा बालकनाथ का मुकाबला कांग्रेस के इमरान खान से था। इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का कारण धार्मिक ध्रुवीकरण को माना जा रहा है। 2018 के चुनाव में वोट शेयर 82.08 प्रतिशत था, जबकि इस बार 86.11 फीसदी रहा है।
पोकरण विधानसभा सीट
जैसलमेर जिले की इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत सिर्फ 0.29 प्रतिशत बढ़ा है। यहां से भाजपा ने महंत प्रतापपुरी और कांग्रेस ने मंत्री सालेह मोहम्मद को टिकट दिए थे। पिछली बार भी ये दोनों प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में थे, फिर भी वोटिंग प्रतिशत में मामूली बढ़ोतरी मतदाता की उदासीनता को दिखा रही है। 2018 के चुनाव में वोट शेयर 87.50 प्रतिशत था, जबकि इस बार 87.79 फीसदी रहा है।
सिरोही विधानसभा सीट
इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत 0.25 प्रतिशत बढ़ा है। यहां भी मामूली बढ़ोतरी हुई है। यहां से भाजपा ने देवासी समाज के संत ओटाराम देवासी को टिकट दिया था, जबकि कांग्रेस ने यहां से निर्दलीय विधायक बने संयम लोढा को मैदान में उतारा था। 2018 के चुनाव में वोट शेयर 65.76 प्रतिशत था, जबकि इस बार 66.01 फीसदी रहा है।
क्या महिलाओं को नहीं भायी घोषणाएं?
इस चुनाव में 88 सीटें ऐसी हैं, जहां महिलाओं ने पुरुषों से भी ज्यादा मतदान किया है। मौजूदा सरकार ने महिलाओं के फ्री मोबाइल फोन, सस्ता सिलेंडर, दस हजार रुपये प्रतिवर्ष जैसी घोषणाएं की थीं। वहीं, भाजपा महिला सुरक्षा समेत अन्य मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में थी।
राजस्थान विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को हुए थे, जिसमें 200 में से 199 सीटों पर चुनाव हुआ था और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। इनमें से 25 सीटें अनुसूचित जाति के लिए, 34 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 141 सीटें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हैं। लगभग 5.3 करोड़ लोग वोट देने के पात्र थे।
RAJASTHAN ME KONSI PARTY KI SARKAR BANEGI
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त होगा, जिसमें मुख्य रूप से भाजपा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस द्वारा चुनाव लड़ा जाएगा। 2018 में, कांग्रेस ने 99 सीटें हासिल कीं, जबकि बीजेपी ने 73 सीटें जीतीं। चुनाव आयोग ने परस्पर विरोधी सामाजिक घटनाओं पर चिंताओं के कारण मूल 23 नवंबर की तारीख को समायोजित कर दिया।
KYA GEHLOT FIR SE CM BANEGE
समूह नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए भाजपा का लक्ष्य गहलोत को पद से हटाना है, जबकि कांग्रेस एक और कार्यकाल चाहती है। अनुच्छेद 243K के तहत स्थापित चुनाव आयोग, 1971 से आदर्श आचार संहिता जारी करके निष्पक्ष आचरण सुनिश्चित करते हुए, चुनावों की देखरेख करता है
KYA RAJASTHAN ME BJP KO BAHUMAT MILEGA
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था, वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। 200 सीटों में से 25 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित हैं, 34 सीटें अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित हैं। अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी, और सामान्य श्रेणी के लिए 141। राजस्थान चुनाव में राज्य के लगभग 5.3 करोड़ लोग वोट देने के पात्र थे।
राजस्थान विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त होने वाला है, और 200 विधानसभा क्षेत्रों में मुख्य रूप से भाजपा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के बीच चुनाव लड़ा जाएगा।
2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 99 सीटें हासिल कीं, जबकि भाजपा ने 200 सदस्यीय सदन में से 73 सीटें जीतीं। 2013 में, भाजपा ने 163 सीटों पर जीत के साथ राज्य सरकार पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
समूह नेतृत्व और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए भाजपा का लक्ष्य अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को हटाना है, जबकि कांग्रेस एक और कार्यकाल के लिए सत्ता बरकरार रखना चाहती है।
मूल रूप से 23 नवंबर को प्रस्तावित चुनाव की तारीख को राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और मीडिया आउटलेट्स द्वारा शादियों और सामाजिक कार्यक्रमों के साथ संभावित टकराव के बारे में उठाई गई चिंताओं के बाद चुनाव आयोग द्वारा बदल दिया गया था।
चुनाव आयोग देश भर में चुनावों की निगरानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तारीखों की घोषणा से लेकर परिणाम घोषित करने तक संरक्षक निकाय के रूप में कार्य करता है। चुनाव की तारीखों की घोषणा करने से पहले, आयोग चल रही परीक्षाओं जैसे कारकों पर विचार करते हुए राज्य की स्थिति का आकलन करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से आयोजित किया जाए। चुनाव आयोग एक आदर्श आचार संहिता जारी करता है, जिसे पहली बार 1971 में 5वीं लोकसभा चुनावों के लिए पेश किया गया था और चुनाव अवधि के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हुए समय-समय पर संशोधित किया गया था।
KYA RAJASTHAN ME HANUMAN BENIWAL SARKAR ME AYEGE
राजस्थान में 199 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में किसे मिलेगी जीत और किसे हार का सामना करना पड़ेगा, ये रविवार 3 दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 की मतगणना के लिए मतगणना केंद्रों पर तैयारियां कर ली गई हैं. तीन दिसंबर को सुबह आठ बजे से सभी केंद्रों पर मतपत्र और 8.30 बजे से ईवीएम के जरिए डाले गए मतों की गिनती शुरू हो जाएगी. बता दें कि राजस्थान की 199 सीटों पर कुल 1862 उम्मीदवार अपना चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं.
राज्य में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में माना जा रहा है. राजनीतिक गलियारों में इस चुनाव को राज (सरकार) और रिवाज बदलने की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि बीते कुछ दशकों में ये देखा गया है कि राजस्थान में हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदल जाती है. एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा का रिवाज काफी समय से चलता आ रहा है. भाजपा को इस बार यहां के रिवाज से बड़ी उम्मीद है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि इस बार ये रिवाज बदलेगा और दोबारा कांग्रेस की सरकार बनेगी.
RLP KHA KHA SE JIT RHI HE
राजस्थान विधानसभा चुनाव की तस्वीर तीन दिसंबर को साफ हो जाएगी। राज बदलेगा या रिवाज, इसका फैसला भी तीन दिसंबर शाम तक हो जाएगा। इससे पहले करीब 47 दिनों तक राजस्थान में चुनावी दंगल चला। इस बीच कांग्रेस-भाजपा ने क्या मुद्दे उठाए और क्या नए प्रयोग किए, यहां जानिए।
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