RAJASTHAN ka CM, kon he kailash choudhary, जाट मुख्यमंत्री

RAJASTHAN ka CM, kon he kailash choudhary 25 साल पहले बस कंडक्टर रहे, पार्षद चुनाव भी हारे पहली बार सांसद बने कैलाश को मंत्री का तोहफा5 वर्ष पहलेLoading advertisement…1989 में कालवी और 30 साल बाद कैलाश जिले से दूसरे मंत्री बने बायतु से विधायक चुनाव हारे, 5 माह बाद भाजपा से सांसद चुनाव लड़े और जीते बाड़मेर/बालोतरा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल बाड़मेर-जैसलमेर से नव निर्वाचित सांसद कैलाश चौधरी का शुरुआती राजनीतिक सफर काफी संघर्षमय रहा।

बचपन से आरएसएस से जुड़ाव व छात्र राजनीति से कॅरियर की शुरुआत कर 2013 में बायतु से विधायक बने और अब पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े और सांसद जीत मंत्री बने हैं। संसद के 67 साल के इतिहास में ये दूसरा मौका है, जब बाड़मेर से सांसद को मंत्री बने हैं।

kya Rajasthan ka CM jat banega

इससे पूर्व 1990-91 तक कल्याणसिंह कालवी केंद्रीय ऊर्जा मंत्री रहे। इसके बाद दूसरे सांसद कैलाश चौधरी हैं, जो केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। चौंकाने की बात यह है कि स्नातक उत्तीर्ण करने के बाद जब राजनीति में कोई खास पहचान नहीं मिली तो कैलाश चौधरी ने आजीविका चलाने के लिए बस कंडक्टर के तौर पर भी काम किया है।

कौन है कैलाश चौधरी

दिल्ली में कपड़े खरीद, पीएम हाउस पहुंचे कैलाशरिकॉर्ड जीत के साथ पहली बार सांसद बने कैलाश चौधरी को मंत्रिमंडल में जगह मिलने का अंदेशा नहीं था, लेकिन गुरुवार दोपहर को पीएमओ से कॉल आने पर उन्होंने दिल्ली से मोदी जैकेट व नए कपड़े खरीदे, इसके बाद वे चाय पर पीएमओ हाउस पहुंचे। टर्निंग पॉइंट: बाढ़ पीड़ितों के लिए 2006 में सोनिया गांधी से उलझे 2006 में कवास में भीषण बाढ़ आई, 150 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।

kailash choudhary Biography

कैलाश चौधरी आरएसएस से जुड़े हुए थे। बालोतरा से 6 हजार खाने के पैकेट तैयार करवाकर सूर्योदय से पहले कवास पहुंचे और बाढ़ पीड़ितों में बांटे। इस दौरान जायजा लेने आईं तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी व मुख्यमंत्री गहलोत को ज्ञापन देने के दौरान कैलाश उलझ गए थे। पुलिस ने कैलाश पर डंडे बरसाए थे। यह दिन कैलाश के लिए राजनीति का टर्निंग पॉइंट रहा। जनता के लिए लड़े, डंडे खाए और जेल भी गए कैलाश छात्र राजनीति से ही दबंग थे।

राजस्थान का जाट लीडर कैलाश चौधरी

उन्होंने कई बार धरना-प्रदर्शन किए। बालोतरा में फैक्ट्रियां बंद होने व मजूदरों का रोजगार छीनने पर वे चार माह तक धरने पर बैठे। पुलिस ने लाठियां बरसाईं, जेल भी गए। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनकी हिस्ट्रीशीट खोल दी, तब भूख हड़ताल के कारण उन्हें अल्सर भी हो गया था। इससे पूर्व बालोतरा में पीजी कॉलेज खुलवाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत से मिले तो बालोतरा में कॉलेज खुला। सच हुआ मां का आशीर्वाद, पार्षद से हारे लेकिन मंत्री बने हार से निराश मत हो बेटा, एक दिन तू मंत्री बनेगा…!

kon he kailash choudhary

वर्ष 1999 में पार्षद का चुनाव हारने के बाद मायूस कैलाश को माता चुकीदेवी ने दुलार करते हुए कहा था कि बेटा आज पार्षद का चुनाव हारा है, लेकिन एक दिन मंत्री बनेगा। अब जब मोदी सरकार में मंत्री बनने की खबर मिली तो मां की 20 साल पुरानी बात ताजा हो गई। हालांकि मां अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन वे यादें अभी भी जिंदा हैं। कैलाश की सफलता के बाद परिवार में खुशी छा गई।

क्या राजस्थान के CM कैलाश चौधरी बनेंगे

कैलाश चौधरी का राजनीतिक कॅरियर कैलाश चौधरी ने राजनीतिक के इस मुकाम तक पहुंचने से पहले कई संघर्ष लड़े हैं। जनता के हक के लिए लड़ाई-लड़ते सड़क से विधानसभा तक घेराव किया और पुलिस के डंडे खाए, कई मुकदमों में जेल भी गए। चौधरी ने बालोतरा में समदड़ी रोड स्थित पुराने वार्ड सं. 19 से 1999 में पार्षद का चुनाव लड़ा, पर यहां हार का सामना करना पड़ा। फिर वर्ष 2004 में वे जिला परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। करीब 15 वर्ष के राजनीतिक संघर्ष के बाद वर्ष 2006 में कवास बाढ़ पीडितों को न्याय दिलाने के लिए ज्ञापन देते हुए तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विभिन्न मांगों को लेकर उलझ गए थे।

कैलाश चौधरी का जीवन परिचय

अब तक कैलाश चौधरी ने तीन विधानसभा चुनाव लड़े। 2008 में पहला विधानसभा चुनाव बायतु से लड़े और 36418 वोट से हारे। 2013 में बायतु से कैलाश 13974 वोट से जीत गए। 2018 में फिर बायतु से विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन 18311 वोट से हार गए। 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और कांग्रेस प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह को 3 लाख 23 हजार 808 वोट से हरा दिया। अब मोदी सरकार ने विश्वास जताते हुए मंत्रिमंडल में शामिल किया है।

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